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इटवा के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी

मुख्यमंत्री जन आरोग्य मेला में परेशानी, फार्मासिस्टों पर निर्भर व्यवस्था

इटवा तहसील क्षेत्र के सरकारी अस्पताल इन दिनों डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं, जिसका सीधा असर मुख्यमंत्री जन आरोग्य मेले की व्यवस्थाओं पर पड़ा है। मेले में बढ़ती मरीजों की भीड़ के बावजूद, कई जगह फार्मासिस्ट के भरोसे ही व्यवस्थाएं संभाली जा रही हैं।

रविवार को इटवा और खुनियांव ब्लॉक के कुल 10 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर लगे मुख्यमंत्री जन आरोग्य मेले में से 6 अस्पतालों की जिम्मेदारी फार्मासिस्ट ने निभाई, जबकि केवल 4 ही अस्पतालों में चिकित्सकों की देखरेख में मेला संपन्न हुआ। मेले में कुल 350 मरीजों का इलाज किया गया, जिनमें खुनियांव ब्लॉक के 183 और इटवा के 167 मरीज शामिल थे। मरीजों को जरूरी जांच और निःशुल्क दवाएं दी गईं।

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झकहिया पीएचसी में सर्वाधिक भीड़, 99 रोगियों का उपचार

इटवा ब्लॉक क्षेत्र के चार पीएचसी पर जन आरोग्य मेले के शिविर आयोजित हुए। सबसे अधिक भीड़ झकहिया पीएचसी में देखने को मिली, जहां होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी डॉ. इतिका सिंह और फार्मासिस्ट गणेश प्रसाद दूबे ने 99 मरीजों का उपचार किया। डॉक्टर इतिका सिंह ने मौसम में बदलाव के मद्देनजर खासकर बच्चों की देखभाल पर ध्यान देने की सलाह दी। जिगिना पीएचसी पर डॉ. संजीव ने 21, भदोखर में डॉ. आकांक्षा पाण्डेय ने 20 और कठेला में शिव सहाय उपाध्याय ने 27 मरीजों की जांच की।

खुनियांव ब्लॉक के 6 अस्पतालों में मात्र एक डॉक्टर, बाकी स्थानों पर फार्मासिस्ट ने निभाई जिम्मेदारी

खुनियांव ब्लॉक में 6 पीएचसी पर सिर्फ बढ़या पीएचसी में ही डॉक्टर तैनात थे। अन्य सभी अस्पतालों में फार्मासिस्ट ने मरीजों को देखा और दवाएं दीं। बढ़या में डॉ. देवव्रत ने 41 मरीजों का इलाज किया, जबकि बल्लीजोत में 33, मिठौवा में 25, धोबहा में 29, और पचमोहनी में 34 मरीजों का इलाज फार्मासिस्ट द्वारा किया गया। तैनात फार्मासिस्टों में ध्रुव चौधरी, प्रदीप उपाध्याय, डीबी राय और आलोक गुप्ता शामिल थे।

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